कि ये सब गवाह हैं, जिम्मेदार हैं, बस मेरी ख़ामोशी के, कि ये सब गवाह हैं, जिम्मेदार हैं, बस मेरी ख़ामोशी के,
सबल* कितने निष्ठुर* हैं उनके ठहाकों की गूंज यहाँ तक है।। सबल* कितने निष्ठुर* हैं उनके ठहाकों की गूंज यहाँ तक है।।
तुम हो ऐसे वीर कि शिला को पिघला सकते होंहै तुम में शक्ति कि पानी में आग लगा सकते हों, तुम हो ऐसे वीर कि शिला को पिघला सकते होंहै तुम में शक्ति कि पानी में आग लगा सकते...
प्रस्तुत काव्य कवयित्री लिखित एवं निर्मित "पावन पौधा प्रीत का" नामे काव्यसंग्रह का संग्रहित भाग हैं प्रस्तुत काव्य कवयित्री लिखित एवं निर्मित "पावन पौधा प्रीत का" नामे काव्यसंग्रह...
एक ग़ज़ल...। एक ग़ज़ल...।
मेरी व्याकुलता को विराम मिला। मेरी चिंता का चरम थम सा गया। मेरी व्याकुलता को विराम मिला। मेरी चिंता का चरम थम सा गया।